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हेलंग में महिलाओं का गलत चालान करने वालों के खिलाफ कार्यवाही हो

 







प्रति,

1.     श्रीमान मुख्यमंत्री महोदय,

     उत्तराखंड शासन, देहरादून.

 


2.    अपर मुख्य सचिव (गृह) महोदया,

      उत्तराखंड शासन, देहरादून.


 

3.     श्रीमान पुलिस महानिदेशक महोदय,

       उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय,देहरादून.

 

 

 

 

महोदय / महोदया,

                15 जुलाई 2022 को चमोली जिले के जोशीमठ ब्लॉक के हेलंग में घास लाती महिला से सीआईएसएफ़ तथा उत्तराखंड पुलिस के द्वारा घास छीनने की घटना का वीडियो वाइरल हुआ. ये बेहद अफसोसजनक है कि महिलाओं की कुर्बानियों से बने राज्य में महिलाओं से सरेआम सीआईएसएफ़ और पुलिस घास छीने, वो भी तब जबकि ये महिलाएं चारागाह बचाने, परियोजना निर्माता कंपनी-टीएचडीसी द्वारा अवैध रूप से पेड़ काटने और अवैध रूप से मलबा निस्तारण का विरोध कर रही थी. इस सिलसिले में वे बीते दो महीनों से उपजिलाधिकारी, चमोली, जिलाधिकारी,चमोली समेत प्रशासन और शासन के जिम्मेदार लोगों को पत्र भेज चुकी थी और जिनसे मिल कर अपनी बात कह सकती थी, उन्हें मिली भी.


महोदय / महोदया, 15 जुलाई को सीआईएसएफ़ और पुलिस द्वारा घास छीनने के बाद इन महिलाओं को स्थानीय प्रशासन के आदेश पर हिरासत में लिया गया, डेढ़ साल की छोटी बच्ची को भी एक घंटे से अधिक कस्टडी में रखा गया. छोटी बच्ची को कस्टडी में रखना अपराध है, इसके लिए जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध कार्यवाही होनी चाहिए.


महोदय / महोदया, घास छीनने के बाद उक्त महिलाओं को जोशीमठ, कोतवाली ले जा कर छह घंटे बैठा कर रखा गया और उसके बाद उत्तराखंड पुलिस अधिनियम,2007 की धारा 81 के तहत 250-250 रुपये का चालान करके छोड़ा गया. इन महिलाओं का उत्तराखंड पुलिस एक्ट की धारा 81 में चालान अपने आप में एक्ट के दायरे से बाहर जा कर की गयी कार्यवाही है.













 81 पुलिस एक्ट में जिन अपराधों का उल्लेख है, वे निम्नलिखित हैं :

 

 

(क) नशे में धुत्त तथा दंगा या जनता में उपद्रव करते हुये पाया

जाने पर;


(ख) पुलिस, अग्निशमन दल या किसी अन्य आवश्यक सेवा को झूठा

आलार्म लगाकर गुमराह करने या जानबुझ कर अफवाह फैलाने

पर;


 हेलंग के मामले में बिन्दु संख्या (ख) तो लागू नहीं होता तो जाहिर है कि बिन्दु संख्या (क) के तहत चालान किया गया होगा. बिन्दु संख्या- क- में कैसे चालान किया गया ? नशे में धुत्त हो कर दंगा तो ये महिलाएं नहीं कर रही थी, अपने जंगल और चारागाह बचाने को नशे में धुत्त हो कर दंगा करने की श्रेणी में तो नहीं रखा जा सकता है ! बिंदु (क) का दूसरा भाग है कि जनता में उपद्रव करते हुए पाये जाने पर. टीएचडीसी के अफसरों से लेकर जिलाधिकारी चमोली तक कह रहे हैं कि इन महिलाओं के साथ कोई नहीं है तो जनता में उपद्रव ये कैसे फैला सकती हैं ?


अब ढाई सौ रुपए के चालान पर चर्चा करते हैं. उत्तराखंड पुलिस अधिनियम के धारा 81 की उपधारा 3 कहती है -


इस धारा में उल्लिखित अपराधों का, इस निमित्त विशेष रूप से सशक्त

पुलिस अधिकारियों द्वारा, विहित न्यूनतम राशि की आधी राशि जमा

करने पर घटना स्थल पर ही शमन किया जा सकता है।”


महोदय / महोदया, इससे स्पष्ट है कि 250 रुपये का चालान तो घटनास्थल पर यानि हेलंग में किया जा सकता था. जोशीमठ कोतवाली में छह घंटे बैठाए रखने के बाद 250 रुपये का चालान करने स्पष्ट तौर पर उत्तराखंड पुलिस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है. अतः महिलाओं को छह घंटे कोतवाली में बैठाने के बाद पुलिस एक्ट का अतिक्रमण करते हुए उक्त महिलाओं का चालान करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध तत्काल कठोर कार्यवाही की जाये तथा यह सुनिश्चित किया जाये कि जिम्मेदार पद पर बैठा व्यक्ति इस तरह अपने अधिकारों का अतिक्रमण और मनमाना दुरुपयोग न कर सके.


सधन्यवाद,


सहयोगाकांक्षी,

इन्द्रेश मैखुरी,

गढ़वाल सचिव,

भाकपा(माले)



 

नोट : यह ज्ञापन ईमेल और व्हाट्स ऐप के जरिये  भेज दिया गया है.

 

पुलिस को तो अपने लोगों से सहानुभूति है ही, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से टीएचडीसी के अधिकारियों को भी बड़ी सहानुभूति पुलिस के प्रति थी. टीएचडीसी के कार्यकारी निदेशक ने हमसे कहा- अरे एसएचओ कहाँ इतना कानून जानता है ! हमने कहा कि- कानून की अनिभिज्ञता कोई बहाना नहीं है (ignorance of law is not an excuse). इस पर मन मसोसते हुए उन्होंने कहा- हाँ सो तो है ! इस तर्क पर वे जिस तरह निराश हुए, वह हैरत में डालने वाला था. ऐसा लग रहा था कि अपने प्यारे या अपने औज़ार पर प्रहार से वे हताश हो रहे थे !  

 

 

 

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