प्रति,
1. 1. श्रीमान
मुख्यमंत्री महोदय,
उत्तराखंड शासन, देहरादून.
2. 2. श्रीमान
अध्यक्ष महोदय,
उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग
देहरादून.
3. 3. अध्यक्ष
महोदया,
उत्तराखंड महिला आयोग
देहरादून.
4. 4. श्रीमान
पुलिस महानिदेशक महोदय,
उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय, देहरादून.
महोदय / महोदया,
इस समय उत्तराखंड में उत्तराखंड
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएससी) में भर्तियों में हुई गड़बड़ियों के संबंध में
एसटीएफ़ की जांच चल रही है,
जिसमें कई आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है.
लेकिन इसी बीच में सोशल मीडिया, न्यूज़ चैनल्स और
पोर्टल्स
पर एक युवती का मामला बहुत तेजी के साथ वायरल हो रहा है, जिसमें उक्त युवती द्वारा उत्तराखंड लोकसेवा आयोग के एक पूर्व सदस्य पर
पैसे की मांग करने और यौन उत्पीड़न के जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं. यह आरोप इसलिए
भी और गंभीर हो जाते हैं, जब ये उत्तराखंड लोकसेवा आयोग के
ऐसे सदस्य पर लगाए गए हैं, जो पूर्व में जज रहे हैं.
महोदय / महोदया, उक्त युवती का कहना है कि वर्ष 2018 में उत्तराखंड अधीनस्थ शिक्षा
(प्रवक्ता संवर्ग- समहूह ग) की लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद, उन्हें महिला व सामान्य वर्ग में साक्षात्कार के लिए चयनित किया गया.
युवती के अनुसार उनके दोनों ही साक्षात्कार, उन सदस्य के
पैनल में थे, जिनपर वे गंभीर आरोप लगा रही हैं. युवती का
आरोप है कि साक्षात्कार हो जाने के बाद उक्त सदस्य द्वारा उन्हें दस्तावेज़ दुरुस्त
करने के नाम पर एक स्थान पर बुलवाया गया, वहाँ से एक फ्लैट
में ले जा कर उक्त सदस्य ने पैसे की मांग
की, छेड़छाड़ की और शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव डाला. उक्त
युवती का यह भी कहना है कि इस संबंध में वह बीते कई वर्षों से निरंतर शिकायत करती
रही है, लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई.
महोदय / महोदया, ये बेहद गंभीर आरोप हैं. ये आरोप और भी संगीन हो जाते हैं जब ये उत्तराखंड लोक सेवा आयोग जैसे उच्च एवं
प्रतिष्ठित संस्थान पर लगते हैं और वह भी एक ऐसे सदस्य पर जो कि पूर्व में न्याय
व्यवस्था से जुड़े रहे हैं. इसलिए इन आरोपों की जांच किया जाना आवश्यक है. यदि युवती वास्तव में पीड़ित है तो निश्चित ही
उसके योग्यता के आधार पर नौकरी पाने, गरिमापूर्ण तरीके से
जीवन जीने के अधिकार पर यह सीधा हमला है.
महोदय / महोदया, इस बीच सोशल मीडिया में एक ऑडियो / वीडियो क्लिप भी वायरल है, जो
कथित तौर पर उक्त युवती व लोकसेवा आयोग के उन पूर्व सदस्य की बताई जा रही है, जिन पर युवती ने आरोप लगाया है. उक्त क्लिप में तो बोल रहा व्यक्ति, युवती को अगली परीक्षाओं में चयन कराने का भरोसा दिला रहा है और अपने
सहायक से संपर्क में बने रहने को कह रहा है. यदि यह क्लिप उसी प्रकरण की है, जिसका ऊपर उल्लेख है तो यह भी अत्यंत गंभीर है. उत्तराखंड लोकसेवा आयोग
जैसे किसी आयोग का कोई सदस्य, किसी को भी, किसी पद पर चयन की गारंटी कैसे दे सकता है.
महोदय / महोदया, यह स्पष्ट करना है कि युवती का मामला होने के चलते मैंने इस प्रार्थना
पत्र में युवती का नाम नहीं लिखा और उत्तराखंड लोकसेवा आयोग के सदस्य का नाम भी
सार्वजनिक नहीं किया है. लेकिन इस प्रकरण में युवती के पूर्व में दिये गए अलग-अलग
प्रार्थना पत्र संलग्न कर रहा हूं, जिसमें युवती का पूरा नाम, पता आदि ब्यौरा है एवं उत्तराखंड लोकसेवा आयोग के जिन पूर्व सदस्य पर
युवती ने आरोप लगाया है, उनका भी नाम उसमें है.
अतः महोदय / महोदया से निवेदन है कि
उक्त प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए तत्काल इस प्रकरण की जांच के आदेश देने की
कृपा करें ताकि इंसाफ हो सके और सच्च सामने आ सके.
सधन्यवाद,
सहयोगाकांक्षी,
इन्द्रेश
मैखुरी
गढ़वाल
सचिव
भाकपा(माले)
नोट : यह पत्र ईमेल और व्हाट्स ऐप से भेज दिया गया है. व्हाट्स ऐप पर उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक श्री अशोक कुमार ने इस संबंध में कुछ जानकारियां मांगी और तत्पश्चात उन्होंने लिखा कि वे इस मामले को दिखवाएंगे और इस पर जरूर कुछ कार्यवाही होगी. पुलिस महानिदेशक महोदय का कार्यवाही की उम्मीद के साथ आभार.
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