प्रति,
श्रीमान मुख्यमंत्री महोदय,
उत्तराखंड शासन, देहरादून.
महोदय,
उत्तराखंड की महिला अभ्यर्थियों को राज्य की सेवाओं में मिलने वाला तीस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण, माननीय उच्च न्यायालय, नैनीताल द्वारा निरस्त कर दिया गया. उसके बाद उच्च न्यायालय द्वारा उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा पीसीएस परीक्षा की मेरिट रिवाइज करने को कहा गया. एक अन्य याचिका के आधार पर उत्तराखंड की अनुसूचित जाति/ जनजाति की महिलाओं को मिलने वाला आरक्षण न दिये जाने का आदेश कर दिया गया.
स्पष्ट तौर पर उत्तराखंड लोकसेवा आयोग द्वारा आयोजित पीसीएस परीक्षा 2021 में शामिल उत्तराखंड की युवतियों के हितों पर कुठाराघात हो रहा है. यह इस प्रकरण में राज्य सरकार की कमजोर कानूनी तैयारी का नतीजा है.
महोदय, राज्य सरकार इस मामले में अध्यादेश लाने और उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दाखिल करनी की बात कहती रही है. लेकिन दो महीने बाद भी इस मामले में कोई ठोस कार्यवाही नहीं दिखाई दे रही है.
इस बीच उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने पीसीएस की मुख्य परीक्षा 12 नवंबर को आयोजित करने की घोषणा कर दी है. यह उत्तराखंड की युवतियों के हितों पर एक और कुठाराघात सिद्ध होगा. जब तक राज्य सरकार, उत्तराखंड की महिलाओं के संदर्भ में आरक्षण के मामले को निस्तारित नहीं कर देती, तब तक उक्त परीक्षा न कराई जाए.
साथ ही हमारी मांग है कि उत्तराखंड की नियुक्तियों में उत्तराखंड की युवतियों के हितों को सुरक्षित करने के लिए तत्काल अध्यादेश लाया जाए.
सधन्यवाद,
सहयोगाकांक्षी
इन्द्रेश मैखुरी,
गढ़वाल सचिव,
भाकपा(माले)
0 Comments