बीते दिनों उत्तराखंड सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक में उत्तराखंड
उच्च न्यायालय को हल्द्वानी स्थानांतरित करने का फैसला ले लिया है. कुछ महीनों से
यह सुगबुगाहट शुरू हो गयी थी. इसके खिलाफ नैनीताल में अधिवक्ताओं द्वारा प्रदर्शन
भी किया जा रहा है.
लेकिन हाईकोर्ट शिफ्टिंग का यह विचार आज का नहीं है. बल्कि यह 2019 से चल रहा है. 2019 में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय को अन्यत्र स्थानांतरित करने के बाबत सुझाव आमंत्रित किये थे. इस संदर्भ में मेरे द्वारा भी 24 जून 2019 को सुझाव भेजा गया. उस समय उच्च न्यायालय ने प्राप्त सभी सुझावों को अपनी वेबसाइट पर लगाया था. सभी सुझाव इस पोस्ट के अंत मे दिए गए लिंक पर जा कर देखे और डाऊनलोड किए जा सकते हैं.
उच्च
न्यायालय को 2019 में भेजा गया मेरा पत्र निम्नवत है :
प्रति,
श्रीमान मुख्य न्यायाधीश महोदय,
उत्तराखंड उच्च न्यायालय,
नैनीताल.
विषय :
उत्तराखंड उच्च न्यायालय को अन्यत्र स्थापित किए जाने के संबंध में
महोदय,
उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री एम.सी.कांडपाल द्वारा
उच्च न्यायालय को नैनीताल से अन्यत्र स्थानांतरित किए जाने के लिए लिखे गए पत्र के
संदर्भ में आपके द्वारा सुझाव आमंत्रित किये गए हैं.
इस
संदर्भ में यह निवेदन है कि नैनीताल एक पर्यटक शहर है,जिसके विस्तार की संभावना बेहद
सीमित है. पर्यटकों के दबाव के साथ ही उच्च न्यायालय से संबंधित कार्यों के लिए
नैनीताल आने वालों की संख्या,इस शहर पर अतिरिक्त दबाव है.
उत्तराखंड
के अन्य हिस्सों से नैनीताल के लिए परिवहन कनैक्टिविटी भी बेहद सीमित है.
पर्यटक
शहर होने के चलते यहाँ आवास(lodging) व्यवस्था काफी ख़र्चीली है. खास तौर पर
पर्यटक सीजन में तो यह काफी मंहगी हो जाती है.
श्री
एम.सी.कांडपाल द्वारा उच्च न्यायालय कों स्थानांतरित करने के लिए एक स्थान-
एच.एम.टी. फ़ैक्ट्री,रानीबाग,हल्द्वानी का सुझाव दिया गया
है. परंतु महोदय से निवेदन है कि उच्च न्यायालय को स्थानांतरित करने के विषय में
जब आपके द्वारा सुझाव आमंत्रित किए जा रहे हैं तो इसके लिए अन्य विकल्पों पर भी
गौर किया जाना चाहिए.
अन्य
विकल्प जहां नैनीताल से उच्च न्यायालय को स्थानांतरित किया जा सकता है,वह स्थल है – गैरसैंण. गैरसैंण
के संदर्भ में निम्नलिखित तथ्य गौरतलब हैं :
- गैरसैंण,चमोली जिले का एक नगर है,जो समुद्रतल से लगभग 1650 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.
- गैरसैंण,उत्तराखंड के केंद्रीय बिन्दु पर स्थित है. राज्य के केंद्रीय बिन्दु पर इसकी अवस्थिति के चलते,प्रदेश के किसी भी हिस्से से न्यायार्थ,उच्च न्यायालय आने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए यह समान दूरी पर पड़ेगा.
- उत्तराखंड राज्य के आंदोलन के समय से ही यहाँ के आम लोगों की आकांक्षा रही है कि गैरसैंण,उत्तराखंड की राजधानी बने. 1994 में उत्तर प्रदेश सरकार के शहरी विकास मंत्री रमाशंकर कौशिक की अध्यक्षता में बनी कमेटी और उत्तराखंड सरकार द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश,न्यायमूर्ति वीरेंद्र दीक्षित की अध्यक्षता में बने एक सदसीय आयोग ने 2008 में सौंपी अपनी रिपोर्ट में, इस बात की पुष्टि की कि जनता के बहुमत की राय, गैरसैंण को उत्तराखंड की राजधानी बनाने के पक्ष में है. राजधानी का मसला तो अभी हल नहीं हुआ,परंतु उच्च न्यायालय को यहाँ स्थानांतरित करके इस दिशा में कदम बढ़ाया जा सकता है.
- उत्तराखंड मूलतः पर्वतीय प्रदेश है. पर्वतीय प्रदेश के केंद्रीय स्थल पर उच्च न्यायालय को स्थानांतरित करके,यह संदेश दिया जा सकता है कि सबसे दूरस्थ,दुर्गम,दुरूह क्षेत्र के लिए भी न्यायिक सेवाओं और न्याय,एकदम निकट है.
- बड़े नगरों में ही सब सुविधाओं और आवश्यकताओं को केन्द्रित करने की धारणा को बदलने का संदेश भी उच्च न्यायालय को गैरसैंण स्थानांतरित करके दिया जा सकता है.
- गैरसैंण में वर्तमान में विधानसभा का एक भवन राज्य सरकार द्वारा बनाया गया है. अवस्थापना विकास(infrastructure development) और विस्तार की पर्याप्त गुंजाइश गैरसैंण में है.
सधन्यवाद,
सहयोगाकांक्षी
इन्द्रेश
मैखुरी
राज्य
कमेटी सदस्य
भाकपा(माले)
ग्राम/पोस्ट
मैखुरा
जिला
चमोली(उत्तराखंड)
https://highcourtofuttarakhand.gov.in/files/final_relocation_file_1.pdf
1 Comments
बिल्कुल सही सुझाव।
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