प्रति,
श्रीमान
पुलिस अधीक्षक(प्रभारी) महोदय,
जिला
चमोली, गोपेश्वर.
महोदय,
समाचार पत्रों से ज्ञात हुआ कि आपने चमोली जिले के प्रभारी पुलिस अधीक्षक
के तौर पर कार्यभार ग्रहण कर लिया है. आपको बधाई और जिले में आपका स्वागत है.
हालांकि इस नियुक्ति पर मैंने अपनी असहमति
सार्वजनिक तौर पर प्रकट की थी, लेकिन वह असहमति, उन लोगों से थी, जो इस पद पर
नियुक्ति करने वाले हैं. चमोली जिले के इतिहास में अपवाद स्वरूप ही
अवसर आया होगा कि पूर्णकालिक (full-fledged) पुलिस अधीक्षक की नियुक्ति न करके प्रभारी पुलिस अधीक्षक की नियुक्ति की
गयी हो और ऐसा करने में भी पाँच दिन का समय लगा दिया गया. यह पूरी प्रक्रिया
नियोक्ताओं की प्रशासनिक कौशल, दक्षता और निर्णय लेने की
क्षमता पर प्रश्न चिन्ह है. बहरहाल ..................
महोदय, आपके पास भले ही
जिले का प्रभार मात्र ही हो लेकिन कानून-व्यवस्था का तो पूरा ही भार रहेगा. इस
सिलसिले में चंद बातें अर्ज करनी हैं.
महोदय, हाल में चमोली जिले
की पुलिस ने देवाल में पिंकी नामक दलित लड़की के हत्यारोपी को लगभग साल भर बाद पकड़ा
है. आरोपी की गिरफ्तारी के लिए स्थानीय लोग लगभग एक महीने से आंदोलन चला रहे थे.
इस संबंध में इतना ही निवेदन करना है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार
निवारण अधिनियम) 1989 की धारा 15 (10) में प्रावधान है कि “इस अधिनियम के अधीन
अपराधों से संबंधित सभी कार्यवाहियां वीडियो रिकॉर्डिंग में अभिलिखित होंगी.”
उम्मीद है कि चमोली पुलिस उक्त प्रकरण में इस प्रावधान का पालन कर रही होगी. अगर
नहीं तो आपसे निवेदन है कि अपने अधीनस्थों को इस संबंध में निर्देशित करने की कृपा
करें.
एक और पुराना प्रकरण, जिसमें अब
तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है, उसकी तरफ आपका ध्यान आकृष्ट
करना है. महोदय, 15 जुलाई 2022
को चमोली जिले के जोशीमठ ब्लॉक के हेलंग में घास लाती महिला से सीआईएसएफ़ तथा
उत्तराखंड पुलिस के द्वारा घास छीनने की घटना का वीडियो वाइरल हुआ.
ये बेहद अफसोसजनक है कि महिलाओं की कुर्बानियों से बने राज्य में महिलाओं से सरेआम
सीआईएसएफ़ और पुलिस घास छीने, वो भी तब जबकि ये महिलाएं
चारागाह बचाने, परियोजना निर्माता कंपनी-टीएचडीसी द्वारा
अवैध रूप से पेड़ काटने और अवैध रूप से मलबा निस्तारण का विरोध कर रही थी.
महोदय, 15 जुलाई को
सीआईएसएफ़ और पुलिस द्वारा घास छीनने के बाद इन महिलाओं को हिरासत में लिया गया, डेढ़ साल की छोटी बच्ची को भी एक घंटे से अधिक कस्टडी में रखा गया. छोटी
बच्ची को कस्टडी में रखना अपराध है, इसके लिए जिम्मेदार
लोगों के विरुद्ध कार्यवाही होनी चाहिए.
घास छीनने के बाद उक्त महिलाओं को जोशीमठ, कोतवाली ले जा कर छह घंटे बैठा कर रखा गया और उसके बाद उत्तराखंड पुलिस
अधिनियम,2007 की धारा 81 के तहत 250-250 रुपये का चालान करके
छोड़ा गया. इन महिलाओं का उत्तराखंड पुलिस एक्ट की धारा 81 में
चालान अपने आप में एक्ट के दायरे से बाहर जा कर की गयी कार्यवाही है.
81 पुलिस एक्ट में जिन अपराधों का
उल्लेख है, वे
निम्नलिखित हैं :
(क) नशे में धुत्त तथा दंगा या जनता में
उपद्रव करते हुये पाया
जाने
पर;
(ख) पुलिस, अग्निशमन दल या किसी अन्य आवश्यक सेवा को झूठा
आलार्म
लगाकर गुमराह करने या जानबुझ कर अफवाह फैलाने
पर;
हेलंग के
मामले में बिन्दु संख्या (ख) तो लागू नहीं होता तो जाहिर है कि बिन्दु संख्या (क)
के तहत चालान किया गया होगा. बिन्दु संख्या- क- में कैसे चालान किया गया ? नशे में धुत्त
हो कर दंगा तो ये महिलाएं नहीं कर रही थी, अपने जंगल और चारागाह बचाने को नशे में धुत्त हो
कर दंगा करने की श्रेणी में तो नहीं रखा जा सकता है ! बिंदु (क)
का दूसरा भाग है कि जनता में उपद्रव करते हुए पाये जाने पर. टीएचडीसी के अफसरों से
लेकर जिलाधिकारी चमोली तक कह रहे हैं कि इन महिलाओं के साथ गांव में कोई नहीं है
तो जनता में उपद्रव ये कैसे फैला सकती हैं ? घास का बोझा पीठ पर
लाद कर घर जा रही महिला कैसा उपद्रव फैला रही होगी ?
अब ढाई सौ रुपए के चालान पर चर्चा करते हैं.
उत्तराखंड पुलिस अधिनियम के धारा 81 की उपधारा 3 कहती है -
“इस धारा में उल्लिखित अपराधों का, इस निमित्त विशेष रूप से सशक्त
पुलिस
अधिकारियों द्वारा, विहित न्यूनतम राशि की आधी राशि जमा
करने
पर घटना स्थल पर ही शमन किया जा सकता है।”
महोदय, इससे स्पष्ट है कि 250 रुपये का चालान
तो घटनास्थल पर यानि हेलंग में किया जा सकता था. जोशीमठ
कोतवाली में छह घंटे बैठाए रखने के बाद 250 रुपये का चालान करने स्पष्ट तौर पर
उत्तराखंड पुलिस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है. अतः महिलाओं को छह घंटे
कोतवाली में बैठाने के बाद पुलिस एक्ट का अतिक्रमण करते हुए उक्त महिलाओं का चालान
करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध तत्काल कठोर कार्यवाही की जाये तथा यह सुनिश्चित
किया जाये कि जिम्मेदार पद पर बैठा व्यक्ति इस तरह अपने अधिकारों का अतिक्रमण और
मनमाना दुरुपयोग न कर सके.
एक और प्रकरण आपके संज्ञान में लाना है.
महोदय, 23 जनवरी 2021 को अपर पुलिस महानिदेशक(प्रशासन) श्री अभिनव कुमार ने सभी
जिलों के वरिष्ठ पुलिस / अधीक्षकों को एक पत्र भेज कर यह निर्देश जारी किया कि “ iii.
थाने के प्रभारी अधिकारी (स्टेशन ऑफिसर / एसएचओ) के रूप में नियुक्त
किए जाने वाले अधिकारी को विगत 03 वर्षों में किसी प्रकार के प्रतिकूल मंतव्य /
परनिंदा लेख से दंडित न किया गया हो.”
लेकिन हैरत की बात है कि जोशीमठ, चमोली, गोविंदघाट, थराली-
कोतवाली/ थाने का प्रभार ऐसे अधिकरियों को दिया गया है, जिनके
सीआर में बैड एंट्री है. जिला मुख्यालय गोपेश्वर की कोतवाली में नियुक्त अफसर के
विरुद्ध सीबीआई का मुकदमा है.
महोदय, अपर पुलिस महानिदेशक(प्रशासन)
महोदय के आदेश के विरुद्ध जा कर बैड एंट्री वाले अधिकारियों की नियुक्ति करने में
क्या मजबूरी रही होगी, कहा नहीं जा सकता. लेकिन क्या चमोली
जिले में साफ-सुथरे बिना बैड एंट्री वाले अफसर नहीं हैं,
जिन्हें थाना / कोतवालियों का प्रभार दिया जा सके ? जिले में
नयी शुरुआत करते हुए आप साफ-सुथरी छवि वाले, ईमानदार
अधिकारियों को जिम्मेदार पदों पर नियुक्त करेंगे, ऐसी उम्मीद
है.
उत्तराखंड पुलिस के नारे “मित्र पुलिस” के अनुरूप आप के कार्यकाल में चमोली पुलिस आम जनता और फरियादियों की
मित्र बनेगी, इस उम्मीद के साथ आपको शुभकामनाएं.
सधन्यवाद,
सहयोगाकांक्षी,
इन्द्रेश
मैखुरी
गढ़वाल सचिव
भाकपा(माले)
(यह पत्र व्हाट्स ऐप के जरिये प्रभारी पुलिस अधीक्षक, चमोली के आधिकारिक नंबर पर भेजा गया. पत्र का सकारात्मक उत्तर देते हुए उन्होंने मेरे विचारों को जनहित में बताया)
0 Comments