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उत्तराखंड महिला आरक्षण : उच्चतम न्यायालय का स्टे राहत तो है पर क्षणिक, आंशिक

 





राजकीय सेवाओं में उत्तराखंड की महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण को निरस्त करने के उच्च न्यायालय के फैसले पर उच्चतम न्यायालय का स्थागनादेश राहत की बात है. लेकिन कानूनी दृष्टि से देखें तो यह तात्कालिक राहत है, जो आंशिक है और क्षणिक भी. 









लेकिन उत्तराखंड  सरकार  इस क्षणिक, आंशिक राहत का ऐसा  विज्ञापनी ढिंढोरा पीट रही है, जैसे उसने कोई बड़ा किला फतह कर लिया हो. उत्तराखंड  सरकार को चाहिए कि विज्ञापनी ढिंढोरा पीटने के बजाय यह  सुनिश्चित करवाए कि उत्तराखंड की सामान्य एवं अनुसूचित जाति/ जनजाति की महिलाओं के अधिकार यहां की सेवाओं में पूर्ण रूप से संरक्षित किये जा सकें. इस मामले में बीते तीन महीनों से अध्यादेश लाने की बात कही जा रही है, लेकिन यह बात सिर्फ अखबार की सुर्खियों तक ही सीमित है. उत्तराखंड सरकार को चाहिए कि विधानसभा के आगामी सत्र में इस मामले में विधेयक ले कर आये.

अगर ठोस वैधानिक उपाय नहीं किये जायेंगे तो सिर्फ स्टे के सहारे बहुत दिन तक उत्तराखंड की महिलाओं और युवतियों के हित संरक्षित नहीं किए जा सकेंगे. 

- इन्द्रेश मैखुरी

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