उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित पटवारी भर्ती परीक्षा का पर्चा लीक होने की घटना शर्मनाक और प्रदेश के युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ है. उत्तराखंड सरकार ने पारदर्शी और साफ- सुथरे तरीके से परीक्षा कराने का काम उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को सौंपा, उसमें आयोग पूरी तरह से नाकाम रहा है. इस खुलासे ने पी सी एस की मुख्य परीक्षा को भी संदिग्ध बना दिया.
यह भी खुलासा हुआ है कि 2021 में हुई जेई, एई और प्रवक्ता परीक्षाओं में भी धांधली हुई थी. इसका अर्थ यह है कि घोटालों में पहले से ही लिप्त उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को परीक्षाएं हस्तांतरित की गयी, तब लोक सेवा आयोग परीक्षा की धांधली में शामिल था. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक घोटाले में लिप्त आयोग से दूसरे घोटाले में लिप्त आयोग को परीक्षा हस्तांतरित किया, यह उनकी स्पष्ट विफलता है. मुख्यमंत्री को साफ- सुथरी और परीक्षा न करा पाने तथा एक घोटाले वाले आयोग से दूसरे घोटाले वाले आयोग को परीक्षा का काम सौंपने की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए.
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के अति गोपन अनुभाग के अनुभाग अधिकारी द्वारा 2018 से इस तरह की धांधली की खबर है. क्या लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ राकेश कुमार और सचिव गिरधारी सिंह रावत को उसके कारनामें की खबर नहीं थी या वे जानते- बूझते खामोश रहे. बात जो भी हो लेकिन उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सचिव को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाना चाहिए और पेपर लीक प्रकरण में उनकी भूमिका की जांच की जानी चाहिए.
यह जरूरी है कि तमाम भर्ती घोटालों के राजनीतिक संरक्षकों का खुलासा हो, इसके लिए उच्च न्यायालय की निगरानी में किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करवाई जानी चाहिए.
इन्द्रेश मैखुरी
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