बीते दिनों एक दैनिक समाचार पत्र ने जोशीमठ को लेकर
एक खबर छापी, जिसका
शीर्षक था : “एक भी प्री-फैब्रिकेटेड हट का निर्माण नहीं
हुआ पूरा.” खबर के अनुसार जोशीमठ के नजदीक ढाक गांव में निर्माणाधीन 15 में से 11 प्री-फैब्रिकेटेड
भवनों की छत और दीवार का काम चल रहा है, जबकि 3 भवनों के फिनिशिंग का कार्य चल
रहा है. अगले दिन शीर्षक थोड़ा बदला !
नया शीर्षक था : “ढाक में प्री फेब्रिकेटेड हट का निर्माण कार्य ज़ोरों पर” ! अंदर तथ्य
पहले दिन वाले ही थे कि 15 में से 11 प्री-फैब्रिकेटेड भवनों की छत और दीवार
का काम चल रहा है, जबकि 3
भवनों के फिनिशिंग का कार्य चल रहा है !
यह हैडलाइन प्रबंधन ही इस अमृत काल का एकमात्र, एकसूत्रीय प्रबंधन है ! देश, प्रदेश और जिला ऐसे ही
हैडलाइन मैनेज करके चल रहा है !
जोशीमठ में प्री-फैब हट के निर्माण की गति और क्रोनोलॉजी
यदि देख लें तो राज्य के हैंडसम मुख्यमंत्री और उनकी आँखों के तारे चमोली जिले के जिलाधिकारी
की कार्यकुशलता की झलक आप पा सकते हैं. प्री-फैब निर्माण की गति, कथाओं वाली बीरबल की खिचड़ी के पकने की रफ्तार को कब का सैकड़ों किलोमीटर पीछे
छोड़ चुकी है.
जनवरी 2023 के शुरू के दिनों में जब जोशीमठ में भीषण दरारों
के सामने आने के बाद जब लोग सड़कों पर उतरे तो जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति और उसके संयोजक
कॉमरेड अतुल सती ने ही प्रशासन के सामने यह सुझाव रखा कि लोगों को उनके दरकते घरों
से फौरी तौर पर पुनर्वासित करने के लिए तत्काल प्री-फैब भवनों का निर्माण हो. प्री-फैब
इसलिए सुझाया गया कि उनको बनाना सरल होता है, तेज गति से हो तो तीन-चार
दिन में एक भवन आसानी से बन जाता है.
चमोली जिले के प्रशासन ने तत्काल प्री फैब का आइडिया लपक
लिया. लेकिन ऐसा लगता है कि आइडिया में से “तत्काल” शब्द प्रशासन के एंटीना ने कैच
नहीं किया. जोशीमठ तहसील में जहां प्रशासन डेरा जमाये हुए था, वहां नेटवर्क की बड़ी दिक्कत रहती है तो हो सकता है कि नेटवर्क ग्लिच में तत्काल
शब्द कहीं अटक गया हो !
बहरहाल 05 जनवरी 2023 को जिस दिन जोशीमठ में लोगों ने राहत,पुनर्वास, पुनर्निर्माण के लिए सड़क पर उतर कर चक्काजाम किया तो प्रशासन और पुलिस सांसत में आ गयी. मौके पर पहुंचे अपर जिलाधिकारी ने लिखित पत्र लोगों को सौंपे, जिनमें लिखा था कि दो हजार प्री-फैब भवन बनाने के लिए एनटीपीसी को कहा गया है और दो हजार प्री-फैब भवन बनाने को एचसीसी से कहा गया है.
इस हिसाब से चार हजार प्री-फैब भवन बन जाने चाहिए थे. लेकिन यह चिट्ठी जारी करने के बाद एडीएम, डीएम, सीएम सब भूल गए. इसलिए आज की तारीख तक चार हजार छोड़िए चार प्री-फैब भी नहीं बने !
प्री-फैब का पुनः
चर्चा प्रशासन से मुंह से तब हुआ जब जिलाधिकारी, चमोली के आधिकारिक
फेसबुक पेज और ट्विटर हैंडल से एक फोटो जारी की गयी. फोटो में जेसीबी जमीन को खोदती
हुई देखी जा सकती है. उसमें लिखा हुआ था कि “जोशीमठ में भू धंसाव के कारण आपदा प्रभावितों
के लिए जोशीमठ से एक किलोमीटर पहले टीसीपी तिराहे के पास उद्यान विभाग की भूमि पर मॉडल
प्री फैब्रिकेटेड भवन बनाया जा रहा है.” यह पोस्ट 20 जनवरी 2023 को किया गया.
इस तरह देखें तो प्री फैब भवनों का जिक्र 05 जनवरी 2023
के बाद सीधे 20 जनवरी को हुआ. उसके बाद अगले कई दिनों तक जिलाधिकारी के पेज से प्री-फैब
भवन निर्माण स्थल के निरीक्षण आदि की तस्वीरें आती रही. यहां कुल तीन भवन बनने थे, जिनके बनने की चर्चा और गति से ऐसा लगा कि जैसा कौन शाहकार रचा जा रहा हो
!
फिर अचानक हैंडसम धामी की आँखों के तारे, राजदुलारे जिलाधिकारी ने 21 जनवरी 2023 को घोषित कर दिया कि जोशीमठ से कुछ
किलोमीटर दूर ढाक में भी पंद्रह प्री-फैब्रिकेटेड भवन बनाए जाएँगे.
इन प्री-फैब भवनों के निरीक्षण करने जिलाधिकारी कब-कब गए, इसका ब्यौरा देने के लिए एक अलग लेख की जरूरत पड़ेगी.
यह अलग बात है कि वे
निरीक्षण करने में ही सारी तेजी दिखाते रहे और निर्माण कार्य कछुआ गति से चलता रहा
!
प्री-फैब भवनों
के निरीक्षण का उनका शगल ऐसा है कि पूर्व नोटिस दे कर जनजाति के लोग, सैकड़ों की तादाद में 04 मार्च को
प्रदर्शन करने कलेक्ट्रेट में उनके दफ्तर आए तो पता चला कि जिलाधिकारी तो हैं ही नहीं
! कहाँ गए हैं तो ज्ञात हुआ- प्री फैब का निरीक्षण करने जोशीमठ चले गए हैं ! जोशीमठ
की नीति-माणा घाटी के जनजाति के लोग जिलाधिकारी दफ्तर आए और जिलाधिकारी जोशीमठ चले
गए, उन प्री-फैब भवनों का निरीक्षण करने जो आज तक पूरे न हो सके
!
बहरहाल 04 मार्च को ही जिलाधिकारी के फेसबुक पेज पर ऐलान
हुआ कि उद्यान विभाग की भूमि पर प्री फैब्रिकेटेड भवनों का निर्माण पूरा हुआ ! इन भवनों
में क्या कोई बसाया जाएगा- जी नहीं ये तो मॉडल हैं ! कितने भवन हैं- तीन ! 20 जनवरी 2023 को बनाना शुरू
हुए और 04 मार्च को जा कर पूरे हो पाये ! नमूने के तौर पर बने ये भवन आपदा प्रबंधन
के नाम पर की जा रही नमूनेपंती के जिंदा मिसाल हैं !
21 जनवरी से ढाक में जिन 15 प्री-फैब भवनों के निर्माण
की घोषणा हुई थी, उनके मामले में तो इस लेख के शुरू में
उल्लिखित हैडलाइन मैनेजमेंट के अलावा नतीजा ढाक के तीन पात है !
जिन भवनों के निर्माण में आम तौर पर तीन-चार दिन से ज्यादा
नहीं लगते हैं, उनके निर्माण में महीनों लग रहे हैं तो यह मज़ाक नहीं
तो क्या है ! अफसोस कि यह क्रूर मज़ाक उनके साथ किया जा रहा है, जो अपने जीवन भर की जमापूंजी, मकान, दुकान सब कुछ गंवाने के कगार पर खड़े हैं !
चमोली जिले के आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी आंकड़े के
अनुसार जोशीमठ में 868 भवन दरारों वाले चिन्हित किए गए हैं और असुरक्षित जोन में चिन्हित
भवनों की संख्या है- 181.
और ऐसे में पंद्रह प्री-फैब्रिकेटेड भवन बनाने में जब
महीनों लग रहे हैं तो सोचिए कि इस दर से पूरे नगर का विस्थापन और पुनर्वास कितने सालों
तक हो पाएगा ? इसी से प्रदेश के हैंडसम मुख्यमंत्री और उनकी आँखों
के तारे, जिगर के प्यारे अफसरों की कार्यकुशलता और दक्षता का
अनुमान लगाया जा सकता है !
-इन्द्रेश मैखुरी
1 Comments
जब नहीं बनेंगे मकान-दुकान! कहाँ रखेंगे गाँव वाले सामान? कैसे पूरे होंगें उनके अरमान!!
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