मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वार विधानसभा के पटल पर दिया गया बयान यह स्पष्ट करता है कि 09 फरवरी को देहरादून में युवाओं पर हुआ लाठीचार्ज गलत था और फर्जी मुकदमें दर्ज किए गए थे.
मुख्यमंत्री जी को सिर्फ
लाठीचार्ज को दुर्भाग्यपूर्ण कह कर ही अपने कर्तव्य की इतिश्री नहीं कर लेनी
चाहिए. यदि मुख्यमंत्री जी वास्तव में समझते हैं कि लाठीचार्ज नहीं होना चाहिए था
तो उन्हें,
लाठीचार्ज के लिए जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए. यह स्पष्ट होना
चाहिए कि लाठीचार्ज का आदेश किस अफसर ने दिया. युवाओं पर बर्बर तरीके से लाठीचार्ज
करने के लिए देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक समेत सभी अफसरों को तत्काल निलंबित
करके लाठीचार्ज प्रकरण में उनकी भूमिका की जांच करनी चाहिए. इस बात
की भी जांच होनी चाहिए कि 08 फरवरी की रात को देहरादून के गांधी पार्क से युवाओं
का दमन करते हुए, उन्हें उठाने का आदेश किसने दिया था.
इस घटना के लिए जिम्मेदार अफसरों और अन्य पुलिस कर्मियों के खिलाफ भी कार्यवाही
होनी चाहिए.
मुख्यमंत्री द्वारा लाठीचार्ज को गलत ठहराए जाने से
स्पष्ट है कि इस घटना की जांच करने वाले गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार ने घटना की
निष्पक्ष जांच के बजाय सिर्फ लाठीचार्ज के दोषियों को बचाने के लिए लीपापोती की.
इसके लिए गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार के खिलाफ भी कार्यवाही की जानी चाहिए.
मुख्यमंत्री का बयान यह भी स्पष्ट करता है कि
लाठीचार्ज पर पर्दा डालने के लिए जो आभार रैलियों का कार्यक्रम सरकारी खर्च पर
भाजपा द्वारा किया गया था, वह पूरी तरह से विफल रहा. लाठीचार्ज
को दुर्भाग्यपूर्ण बता कर प्रकारांतर से मुख्यमंत्री ने अपनी और सरकार की नाकामी
को ही स्वीकार किया है. युवाओं के दमन का जो दाग मुख्यमंत्री और भाजपा के दामन पर
लगा है, वह लाठीचार्ज को दुर्भाग्यपूर्ण कह देने भर से नहीं
धुलेगा. इसके लिए ठोस कार्यवाही करनी होगी. मुख्यमंत्री सभी भर्ती घोटालों की
सीबीआई जांच का आदेश दें, विधानसभा में बैकडोर भर्ती के दोषी
तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष और वर्तमान मंत्री को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करें. विधानसभा
में बैक डोर से नियुक्ति पा कर नियमित होने वालों को बर्खास्त करें और बैकडोर से
नियुक्ति करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करें.
-इन्द्रेश
मैखुरी
राज्य सचिव
भाकपा(माले)
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