मोबाइल फोन की घंटी बजी, स्क्रीन पर एक अंजान नंबर- +9180032322949 दिखाई दिया. फोन उठाया, उधर
से नमस्कार के बाद, न परिचय, न नाम, न पता, सीधे संवाद आया- और सुनाओ ठीक है ! मुझे लगा
किसी का गलत नंबर लग गया तो मैंने पूछा- किसको फोन किया आपने ? बोले-मैंने इन्द्रेश को फोन किया. मैंने फिर पूछा- कौन बोल रहे हैं तो जवाब
आया- मैं राजस्थान से राहुल शर्मा जी बात कर रहा हूँ , अलवर जिले
से !
ऐसे कैरक्टर मुझे बड़े क्यूट लगते हैं, जो खुद ही अपने नाम के आगे “जी” लगा लेते हैं ! और कोई लगाए न लगाए, खुद तो लगा ही लें
! अपनी इज्जत,अपने हाथ !
खैर मैंने पूछा- बताइये. तो वो बोले : मैं आपके इलैक्शन
पे आया था ना चाचा जी, मैं वहीं पे रहता था, 2014 में ! लो बताओ थोड़ी देर पहले मैं सिर्फ इन्द्रेश था और ये राहुल शर्मा
जी, अब मैं इनके चाचा जी भी हो गया ! भाई मेरे इलैक्शन में भी
था ! गजब है, अपने लाखों समर्थकों में से इस राजस्थानी भतीजे
को पहचान नहीं पाया होऊंगा मैं ! भय्या मैं तो केवल दस आदमी लेकर नामांकन करने गया
था, उनमें से केवल दो ही नामांकन कक्ष में प्रवेश कर पाये थे
और उन दस में से कोई राजस्थानी भतीजा नहीं था !
बहरहाल मैंने, राहुल शर्मा जी, स्वघोषित भतीजे से पूछा- फिर क्या हुआ ? तो उसने बताया
कि उसने कोई घर के काम से, नजदीकी काम से फोन लगाया है !
मैंने कहा बताइये तो राहुल शर्मा जी, स्वघोषित भतीजे ने फिर एक कहानी सुनाई कि उसके मौसी का लड़का गुजरात के कच्छ
में जेसीबी मशीन चलाता है. जेसीबी से खड्डा खोदते हुए जमीन के अंदर से एक घड़ा निकला, जिसमें लाल कपड़े में लपेटे हुए आठ बिस्किट सोने के और दो-सवा दो किलो चांदी
के सिक्के निकले और मौसी का लड़का गुजरात से राजस्थान में गाँव लेकर आ गया, इन्हें ! स्वघोषित भतीजे के अनुसार- ये बात राजस्थान में उन्होंने किसी को
लीकेज नहीं होने दी, चाचा जी ! स्वघोषित भतीजे के अनुसार उनकी
मौसी ने उन्हें, अपने किसी जानकार से इस सामान को बिकवाने को
कहा है ! मार्केट से कम रेट पर भी निकले पर गलत आदमी को मालूम न हो !
स्वघोषित भतीजे ने बड़ी आत्मीयता के भाव से कहा- मैंने
बड़े भरोसे से फोन लगाया है, पहले सामान को देख लो, चेक कर लो, विश्वास हो जाये तो आगे बात करना !
हाय-हाय कुर्बान जाऊं, इस भरोसे पर, जिस भतीजे का चेहरा तक इस चाचा को याद नहीं, उसे भी
कितना भरोसा है, मुझ पर !
लेकिन भय्ये, तुम किस आदमी के पास
आ गए, माल बिकवाने, जिसने खरीदने के नाम
पर 38 रुपए की दूध की थैली और दस रुपये के दो-चार नींबुओं से
अधिक साढ़े चार दशक के जीवन में कुछ न खरीदा और बेचने के नाम पर तो अखबारों का ढेर ही
बेचा, रद्दी में ! तुम उसके पास सोने के बिस्किट और चांदी के
सिक्के बेचने आ गए, स्वयंभू, स्वघोषित भतीजे
! मैं न तुम्हारा भरोसा कायम रख पाऊँगा, न तुम्हारा माल बिकवा
पाऊँगा, तुम्हारे किसी काम न आ पाऊँगा ! हाय-हाय !
मैंने उससे कहा कि यह माल पुलिस थाने में जमा कर आओ तो
स्वघोषित भतीजे ने रुष्ट हो कर तत्काल फोन काट दिया ! भय्या जान तो लेना चाहिए कि किसको
चाचा बना रहे हो, किसके भतीजे बन रहे हो ! बिना जाने, सिर्फ इतनी जानकारी
के आधार पर कि ये कोई नेता है, किलक कर फोन कर दोगे तो निराशा
ही हाथ लगेगी !
मैं इतना ही कर सका कि मैंने इस फोन की ऑडियो रिकॉर्डिंग
उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक- श्री अशोक कुमार जी को भेज दी और उन्होंने कहा कि वे
इसे एसटीएफ़ को भेज देंगे. अब एसटीएफ़ वाले ही खोजें आठ सोने के बिस्किट, दो- ढाई किलो चांदी के सिक्के वाले इस स्वघोषित भतीजे को और वे ही माकूल इंतजाम करें, इनका व इनके माल
का !
पढ़ने वालों से निवेदन है कि ठगी के नए रूप इस दौर में
सामने आ रहे हैं, इस तरह के किसी फोन पर दिये जाने वाले
लालच के फेर में न फंसें वरना हाथ तो कुछ नहीं आएगा पर लुटने की संभावना भरपूर रहेगी
!
-इन्द्रेश मैखुरी
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