प्रति,
श्रीमान पुलिस महानिदेशक महोदय,
उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय, देहरादून.
महोदय,
जैसा कि आप जानते हैं कि बीती 26 मई को पुरोला में एक घटना के बाद वहां
तनाव का माहौल निरंतर बना हुआ. हालांकि पुलिस द्वारा तत्काल आरोपियों की गिरफ्तारी
की गयी, लेकिन
उसके बावजूद भी माहौल को कुछ लोग तनावपूर्ण बनाए हुए हैं. प्रश्न यह भी है कि जब
आरोपी दो अलग-अलग धर्मों के हैं तो एक धर्म विशेष के खिलाफ माहौल क्यूं बनाया जा
रहा है ?
इसी बीच यह भी हुआ कि पुरोला में अल्पसंख्यकों की
दुकानों पर पोस्टर चस्पा कर दिये गए, जिसमें उनसे 15 जून 2023 तक अपनी दुकानें खाली
करने को कहा गया है. दुकानों पर पोस्टर लगाए जाने के मामले में पुलिस ने अज्ञात के
विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया है. हालांकि पोस्टर पर देवभूमि रक्षा अभियान लिखा हुआ पर
मुकदमा अज्ञात के विरुद्ध दर्ज हुआ है.
महोदय, इस बीच एक
व्यक्ति ने अपने फेसबुक अकाउंट से आपके कार्यालय में आपसे मुलाक़ात
का फोटो साझा किया और लिखा कि उक्त व्यक्ति ने लव जिहाद के मामले में आपसे बात की
! पोस्ट में यह भी लिखा है कि उक्त
व्यक्ति ने आपसे कहा कि पुलिस जबरन पुरोला में दुकानें खुलवाने का प्रयास न करे !
यह हैरत की बात है, महोदय. गैर
कानूनी तरीके से, डरा कर बंद करवायी गयी दुकानों के मामले
में कोई व्यक्ति, राज्य पुलिस के मुखिया को ऐसा कह सकता है
कि पुलिस जबरन दुकानें खुलवाने की कोशिश न करे ? यह तो खुली
धमकी प्रतीत हो रही है, महोदय !
आश्चर्य की बात यह है कि उक्त बातें, जिस फेसबुक एकाउंट पर लिखी गयी है, उसका नाम है-
देवभूमि रक्षा अभियान ! पुरोला में अल्पसंख्यकों की दुकानों के बाहर धमकी भरे
पोस्टरों पर भी यही नाम लिखा है- देवभूमि रक्षा अभियान !
पुरोला में पोस्टर लगाने के लिए पुलिस ने जिस अज्ञात
के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया है, वह तो खुले तौर पर आपके कार्यालय
में न केवल फोटो खिंचवा रहा है, बल्कि दावा भी कर रहा है कि
उसने, आप से भी कहा कि पुलिस जबरन पुरोला में दुकानें
खुलवाने की कोशिश न करे !
महोदय, उक्त व्यक्ति किस
मानसिकता से संचालित हो रहा है, यह तो स्पष्ट है पर राज्य के
पुलिस प्रमुख होने के बाद भी आप ऐसी बातें क्यूं बर्दाश्त कर रहे हैं, यह समझना मुश्किल है !
धार्मिक उन्माद में अपने लिए अवसर तलाशने वालों को
कानून की परवाह न हो, यह एक बात है. लेकिन राज्य पुलिस के
प्रमुख होने के नाते आपकी प्राथमिकता तो कानून व्यवस्था कायम रखना होगी ही. तब ऐसे
व्यक्तियों को इस तरह की छूट क्यूं ?
यह व्यक्ति तो इससे पहले भी हरिद्वार धर्म संसद समेत
तमाम जगह नफरत भरे भाषण ( hate speech) देने में शामिल रहा है.
पूर्व में भी मैंने नफरत भरे भाषणों के संदर्भ में आपको पत्र लिख कर निवेदन किया
था कि माननीय उच्चतम न्यायालय का आदेश है कि पुलिस स्वतः संज्ञान लेकर कार्यवाही
करे, अतः ऐसा किया जाना चाहिए. लेकिन अफसोस ऐसा नहीं किया
गया और अब नफरत भरे भाषण देने वाले दावा कर रहे हैं कि उन्होंने आपके कार्यालय में
नफरत के पक्ष की वकालत की !
महोदय, आपसे निवेदन है कि
सांप्रदायिक घृणा और उन्माद फैलाने की अनुमति किसी को नहीं दी जानी चाहिए अन्यथा
इसकी कीमत न केवल राज्य चुकाएगा बल्कि कानून और व्यवस्था भी तार-तार हो जाएगी.
अतः आपसे निवेदन है कि पुरोला में पोस्टर लगवाने के
मामले में जो “अज्ञात” था, वह तो आपके
कार्यालय में आ कर खुद को ज्ञात करवा ही चुका है, अतः उक्त
व्यक्ति और उन जैसे अन्य जो राज्य में घृणा और उन्माद फैलाने में लगे हैं, उनके खिलाफ कठोर वैधानिक कार्यवाही अमल में लायी जाये.
सधन्यवाद,
सहयोगाकांक्षी,
इन्द्रेश
मैखुरी,
राज्य सचिव,भाकपा(माले)
उत्तराखंड.
(नोट : यह पत्र व्हाट्स ऐप और ईमेल के जरिये पुलिस महानिदेशक
महोदय को भेज दिया गया है. आम तौर पर वे पत्रों का जवाब दे देते हैं पर
इस पत्र का अब तक कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ है. )
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