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सोशल मीडिया “खेल” में मगन पुलिस मुखिया !

 







उत्तराखंड पुलिस के मुखिया अशोक कुमार नवंबर में रिटायर होने वाले हैं. लेकिन सोशल मीडिया में उनकी गतिविधियों को देख कर लगता है कि वे अभी से काफी फुर्सत में हैं. इसलिए सोशल मीडिया में वे ऐसे मसलों पर सक्रिय दिखाई दे रहे हैं, जिन्हें देख कर लगता नहीं कि कानून व्यवस्था चाक-चौबंद रखने की ड्यूटी का कोई बोझ, वे अपने कंधों पर महसूस कर रहे हैं !


बीते दिनों उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने एक्स (भूतपूर्व ट्विटर) और फेसबुक पर भारतीय वॉलीबॉल टीम को बधाई देते हुए लिखा कि “एशिया रैंक 19, वर्ल्ड रैंक 73 होने के बावजूद 19वे एशियाई खेलों में भारतीय वॉलीबॉल टीम 2018 की सिल्वर मेडलिस्ट कोरिया और ब्रॉन्ज मेडलिस्ट चाइनीज ताइपे को हराकर क्वार्टर फाइनल में कैसे पहुंची ।

इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है fair selection जो वॉलीबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया की अस्थाई महासचिव अलकनंदा अशोक के नेतृत्व में हुआ । साथ ही बड़ी भूमिका है भारतीय खेल प्राधिकरण SAI की और खेल विभाग की जिन्होंने टीम की ट्रेनिंग और बाकी सभी आवश्यकताओं के लिए पूरा साथ दिया।

All the best team India..










एक्स पर अंग्रेजी में लिखे हुए में श्रेय देने में खेल मंत्रालय का नाम पहले लिखा गया है और अलकनंदा अशोक का नाम, दूसरे नंबर पर है. 











इसमें भी उनको वीएफ़आई (वॉलीबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया) की कार्यकारी (officiating) सेक्रेटरी लिखा गया है. ज्ञातव्य है कि श्रीमती अलकनंदा अशोक, पुलिस महानिदेशक श्री अशोक कुमार की पत्नी हैं.


जाहिर सी बात है कि कोई भी पोस्ट लिखा जाएगा तो सोशल मीडिया पर लोग सिर्फ प्रशंसात्मक टिप्पणी ही नहीं करेंगे बल्कि पोस्ट से भिन्न मत भी प्रकट करेंगे ही. ऐसे ही भिन्न मत प्रकट करने वाली पोस्ट का जवाब देने के लिए अशोक कुमार साहब पुनः सोशल मीडिया में उतरे हैं. आज 26 सितंबर को जवाब देते हुए उन्होंने लिखा है कि “मेरे द्वारा वॉलीबॉल टीम इंडिया एवं टीम सिलेक्शन मेंबर्स को बधाई देने हेतु सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर गई थी जिसके बारे में मुझे अवगत कराया गया है कि हमारे समाज के ऐसे कुछ जिम्मेदार लोगों द्वारा जिनसे लोग सच्चाई की उम्मीद करते हैं, सोशल मीडिया पर एक भ्रामक पोस्ट कर जनता को भ्रमित करने का प्रयास किया जा रहा है..

जबकि भ्रमित पोस्ट में जो वालीबॉल फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के 32 लोगों की लिस्ट शेयर की है. वह वर्तमान में Derecognized है। इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन द्वारा वालीबॉल फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के अगले नए इलेक्शन होने तक फेडरेशन के कार्य एवं खिलाडियों के चयन हेतु चार सदस्यों की Ad-hoc कमेटी बनायी गयी है। इसी Ad-hoc कमेटी में अलकनंदा जी भी शामिल है। 19वें एशियन गेम्स में प्रतिभाग करने गयी टीम का चयन भी इसी Ad-hoc कमेटी द्वारा किया गया है।

जिन जिम्मेदार लोगों से हम सच्चाई की अपेक्षा करते हैं उनसे मेरी अपील है कि कृपया सोशल मीडिया पर भ्रांति ना फैलाएं।












इस जवाबी पोस्ट में तीन तथ्य हैं जो गौरतलब हैं.


एक तो अशोक कुमार साहब लिखते हैं कि उनकी पुरानी पोस्ट के जवाब में लोग 32 ऐसे लोगों की लिस्ट शेयर कर रहे हैं, जो Derecognized हैं यानि उनकी मान्यता समाप्त कर दी गयी है. यह तर्क सरसरी तौर पर वाजिब जान पड़ता है कि मान्यता विहीन लोगों को श्रेय नहीं दिया जाना.


दूसरा, वे कहते हैं कि भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन द्वारा वालीबॉल फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के अगले नए इलेक्शन होने तक चार सदसीय तदर्थ कमेटी (एड हॉक) कमेटी बनाई गयी है, जिसमें अलकनंदा अशोक जी भी शामिल हैं और एशियाई खेलों में शामिल होने गयी टीम का चयन इसी कमेटी ने किया था. इस दूसरे पोस्ट के हिसाब से चयन पूरी तदर्थ कमेटी ने किया था तो श्रेय सिर्फ अलकनंदा अशोक जी को ही क्यूँ ? चलिये यह भी मान लेते हैं कि अपनी पत्नी के प्रति स्नेह के वशीभूत हो कर, हर्षातिरेक में अशोक कुमार साहब ने तदर्थ कमेटी के बाकी तीन सदस्यों का श्रेय भी अलकनंदा जी के हिस्से में डाल दिया होगा !


लेकिन पहले पोस्ट और दूसरे पोस्ट में अलकनंदा जी का जिक्र करते हुए दो अलग-अलग बातें हैं ! 22 सितंबर 2023 को लिखी गयी पोस्ट में पुलिस महानिदेशक श्री अशोक कुमार, जब श्रीमती अलकनंदा अशोक को टीम की सफलता का श्रेय देते हैं तो वे हिन्दी और अंग्रेजी- दोनों ही भाषाओं में श्रीमती अलकनंदा अशोक को वॉलीबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया की अस्थाई महासचिव लिखते हैं और इसी नाते टीम चुनने का बड़ा श्रेय श्रीमती अलकनंदा अशोक के खाते में डालते हैं.


लेकिन आज यानि 26 सितंबर 2023 को जब अशोक कुमार साहब पोस्ट लिखते हैं तो वे श्रीमती अलकनंदा अशोक को तदर्थ कमेटी के चार सदस्यों में से एक लिखते हैं !


क्या तीन दिनों में यह बदलाव हो गया कि श्रीमती अलकनंदा अशोक “अस्थायी महासचिव” से तदर्थ कमेटी की सदस्य हो गयीं ? क्या ऐसा हुआ कि जिस समय अशोक कुमार साहब, 22 सितंबर को वॉलीबॉल टीम को बधाई लिख रहे थे, उस समय श्रीमती अलकनंदा अशोक, वॉलीबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया की अस्थाई महासचिव थीं और तीन दिन बाद जब अशोक कुमार साहब 26 सितंबर को दूसरा पोस्ट लिख रहे हैं तो वे तदर्थ कमेटी की सदस्य हो गयीं या बना दी गयीं ?


तथ्य तो ऐसा नहीं बताते. तथ्य यह कि 13 जून 2023 को भारतीय ओलंपिक संघ ने कार्यालय आदेश जारी करके वॉलीबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया की तदर्थ कमेटी बनाने की घोषणा की.










उक्त चार सदसीय कमेटी में एकमात्र पदाधिकारी इस कमेटी के अध्यक्ष रोहित राजपाल हैं. बाकी तीन लोग सिर्फ सदस्य हैं, जिनमें से श्रीमती अलकनंदा अशोक भी एक सदस्य हैं.


तब फिर श्री अशोक कुमार ने  22 सितंबर के पोस्ट में श्रीमती अलकनंदा अशोक को उक्त कमेटी का महासचिव किस वजह से लिखा ? हो सकता है श्री अशोक और श्रीमती अशोक की यह तमन्ना हो कि वे महासचिव बनें, इसके लिए वे प्रयासरत भी हों पर तथ्य तो यही है कि वे अभी उक्त तदर्थ कमेटी की सिर्फ सदस्य हैं. अशोक कुमार साहब जब दूसरों की गलत बयानी पर पोस्ट लिख रहे हैं तो अपनी इस गलत बयानी की, उनके पास क्या सफाई है ?


और माफ कीजिये इतने बड़े पद पर बैठा व्यक्ति जब कमेटी के अध्यक्ष का नाम नहीं लेता और श्रेय का मुकुट अपनी पत्नी के सिर बांधने के लिए, उन्हें अपने मन से पदाधिकारी बना देता है तो यह आपकी गरिमा को ही क्षीण करता है, इससे हल्कापन ही प्रकट होता है !


गलतबयानी और हल्कापन राज्य के पुलिस प्रमुख के पद पर बैठे व्यक्ति को शोभा तो नहीं देता !


और यही एकमात्र मसला नहीं है, जिसमें श्री अशोक कुमार सोशल मीडिया पोस्ट में बहुत गरिमापूर्ण नहीं नज़र आए. 20 सितंबर को उन्होंने सोशल मीडिया में लिखा “जब आपको हराने के लिए लोग मेहनत और प्रयास करने की बजाय षडयंत्र करने लगें तो समझ लेना चाहिए कि आपकी प्रतिभा और क्षमता सर्वोच्च स्तर की है ।











आज की शब्दावली में जिसे मोटिवेशनल वाक्य कहा जाता है, यह उस श्रेणी का घिसा-पिटा वाक्य है. लेकिन एक राज्य का पुलिस प्रमुख ऐसा वाक्य लिखता है तो स्वतः ही मन में संदेह होता है कि क्या सब कुछ ठीक नहीं चल रहा ? यह वाक्य वे किसके संदर्भ में कह रहे हैं ? क्या स्वयं के संदर्भ में कह रहे हैं ? वे तो अपनी श्रेणी में राज्य के सर्वोच्च पद पर पहुँच ही चुके हैं ! तब कौन उन्हें हराने के लिए मेहनत और प्रयास के बजाय षड्यंत्र कर रहा है ?


चर्चा है कि उन्हें 06 महीने का सेवा विस्तार मिलने जा रहा है. 











क्या इस षड्यंत्र वाली उक्ति का संबंध इस बात से है ? या फिर अपने गृह राज्य में जो प्रयास वो चला रहे थे, इस वाक्य का संबंध उनसे है ?


हो सकता है, इनमें से किसी बात से उक्त वाक्य का संबंध न हो. लेकिन ऐसा संशयात्मक वाक्य लिखेंगे तो कयास तो लगाए ही जाएँगे !


 उनसे निवेदन है कि सोशल मीडिया पर चर्चा में बने रहने के लिए ऐसे वाक्य न लिखें, जिससे संशय पैदा हो या कयासबाजी का माहौल उत्पन्न हो ! 30 नवंबर या उसके छह महीने बाद, वे स्वतंत्र होंगे कि हल्का, भारी जो मर्जी लिखें. लेकिन तब तक उनसे यह आग्रह है कि धैर्य और गरिमा दोनों बनाए रखें.


-इन्द्रेश मैखुरी

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