प्रदेश के एक मंत्री जी आज कल, आए दिन सुर्खियां
बटोर रहे हैं. एक सुर्खी खत्म नहीं होती कि दूसरी सुर्खी दरवाजे पर हाजिर रहती है.
लोग पूछते हैं कि क्या मंत्री जी इतना उत्कृष्ट काम कर रहे हैं कि सुर्खियों में हैं
? अजी काम करने से
क्या होता है, कुच्छो
नहीं होता है ! मंत्री पद काम से नहीं, जुगाड़ और इंतजाम से मिलता है, विधायकी भी ऐसे
ही हासिल होती है ! जनता से नेतागणों का इतना कष्ट देखा नहीं जाता था कि वो बेचारे
विधायक, मंत्री
भी रहें और काम भी करें. इसलिए
अब मंत्री-विधायक बनने वाले नेतागण काम करने के कष्ट से मुक्त हैं ! उनके पास इतना
ही काम है कि वे जुगाड़ और इंतजाम रखें !
इसलिए मंत्री जी के काम के चलते सुर्खियों में होने
की आशंका सर्वथा निर्मूल है ! ऐसे बुरे ख्याल भी लोगों को मन में नहीं लाने चाहिए कि
मंत्री जी कुछ काम कर रहे होंगे और तब उनकी चर्चा हुई होगी !
मंत्री जी की चर्चा तो बोल बचन के लिए है ! मंत्री
जी ने बातों के ऐसे गोले दागे की तमीज और सभ्यता दुम दबा कर भागे !
मंत्री जी की पार्टी के विधायक उनसे मिलने गए. वे
मंत्री जी के मुंह से दागे जाने वाले डॉट-डॉट, बीप-बीप वाले गोलों का सामना नहीं कर सके और मंत्री
जी के बैठक कक्ष की गद्देदार कुर्सियाँ छोड़ सीधे, उनके गेट के बाहर आ कर ही तशरीफ रख सके
! मंत्री जी की डॉट-डॉट, बीप-बीप
का ताप ऐसा था कि विधायक जी न केवल सिर पर पाँव रख कर भागे, बल्कि अपना दिया
कागज भी मंत्री जी के डॉट-डॉट, बीप-बीप के सामने सरैंडर करके गेट के बाहर भागे
!
यूं विधायक जी पहले थोड़े हैं, जो मंत्री जी के
डॉट-डॉट, बीप-बीप
के गोलों के आगे खेत रहे ! अभी कुछ दिन पहले ही तो मंत्री जी, बड़ी कचहरी का
भी डॉट-डॉट, बीप-बीप कर चुके हैं. ऑडियो वायरल है पर मजाल है कि
कोई चूँ भी बोले ! मंत्री जी उसका भी डॉट-डॉट, बीप-बीप कर देंगे
! फर्ज कीजिये कि बड़ी कचहरी स्वतः संज्ञान ले और मंत्री जी को तलब करे कि आपने बड़ी
कचहरी की अवमानना की है ! मंत्री जी कचहरी में खड़े हो कर कह दें कि हुजूर डॉट-डॉट, बीप-बीप मैं तो आपका बहुत सम्मान करता हूँ, डॉट-डॉट, बीप-बीप, मैं तो आपकी
अवमानना करने की सपने में भी नहीं सोच सकता डॉट-डॉट, बीप-बीप
! तो बेचारी बड़ी कचहरी दोबारा इस डॉट-डॉट, बीप-बीप को कैसे सहन
कर पाएगी ? इसलिए चुप ही भली !
कभी-कभी ख्याल आता है कि बिना डॉट-डॉट, बीप-बीप किए हुए, बात कहने में मंत्री जी को कितना कष्ट
होता होगा ! जैसे वे मंत्री पद की शपथ ले रहे हैं और इसमें डॉट-डॉट, बीप-बीप करने का स्कोप नहीं है, तब क्या होता होगा ? तब मंत्री जी मन के अंदर डॉट-डॉट, बीप-बीप करके काम
चलाते होंगे ! वह शपथ यूं होती होगी- मैं ......... डॉट-डॉट,
बीप-बीप....... की शपथ लेता हूँ कि डॉट-डॉट, बीप-बीप शुद्ध अन्तःकरण
से, राग या द्वेष के बिना डॉट-डॉट, बीप-बीप
अपने दायित्वों का निर्वहन करूंगा !
असल में बहुतेरे महापुरुषों की तरह डॉट-डॉट, बीप-बीप, मंत्री जी की भाषा का शृंगार है, अलंकार है, प्राण वायु है ! डॉट-डॉट, बीप-बीप के बिना मंत्री जी और उनकी भाषा तेजहीन
है ! मंत्री जी का तेज कायम रहे, उनके मुंह से डॉट-डॉट, बीप-बीप की रसधार यूं ही युगों-युगों तक बहती रहे !
-इन्द्रेश मैखुरी
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