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पत्रकारों पर मुकदमा निंदनीय

 

  




उत्तराखंड सरकार द्वारा यात्रा की अव्यवस्थाओं पर खबर लिखने के लिए पत्रकार मनमीत पर मुकदमा करना बेहद निंदनीय है. हम इसकी तीव्र भर्त्सना करते हैं.












यात्रा व्यवस्था में जिस तरह की अराजकता का आलम है, उसे पूरा प्रदेश देख रहा है. यात्रा में जाम के वीडियो सोशल मीडिया में लगातार देखे जा सकते हैं. तीर्थ पुरोहितों से लेकर आम जन तक यात्रा व्यवस्थाओं के प्रति नाखुशी जता रहे हैं.


 स्वयं गढ़वाल कमिश्नर द्वारा कल की गयी प्रेस वार्ता में कही गयी बातें अराजकता की स्वीकारोक्ति थी. गढ़वाल कमिश्नर खुद कह रहे हैं कि यात्रा के लिए जिनका बाद का रजिस्ट्रेशन बाद का है, वो पहले ही आ रहे हैं, इसलिए दिक्कत हो रही है. इसका आशय साफ है कि रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था सिर्फ काग़ज़ों पर है.








दैनिक भास्कर में छपी जिस रिपोर्ट के लिए पत्रकार मनमीत पर मुकदमा किया गया है, उसमें यात्रा में मरने वालों की संख्या दस लिखी गयी है, जबकि कमिश्नर ने खुद मृतकों की संख्या  ग्यारह बताई.


 मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मुंबई के जुहू बीच पर प्रचारात्मक वीडियो शूट कराने में मगन हैं, वे देश के अन्य हिस्सों में चुनाव प्रचार में बड़ी-बड़ी डींगें हांक रहे हैं और प्रदेश की खबरें, उनके बड़बोलेपन की हवा निकाल रही हैं. इसी की खीज पत्रकारों पर उतारी जा रही है. पत्रकार मनमीत पर मुकदमा करके बाकी पत्रकारों को भी डराने की कोशिश की जा रही है ताकि वे सरकार की नाकामियां न उजागर करें. हैरत यह है कि मनमीत पर धार्मिक भावनाएँ भड़काने की धारा में मुकदमा किया गया है ! 










दैनिक भास्कर की जिस खबर को आधार बना कर मुकदमा किया गया है, उसमें लिखा है कि यात्रा मार्ग में जाम था, लोग जाम में फंसे और दर्शन करने वालों में से कुछ की मौत हुई- ऐसा लिखने से भला किसकी धार्मिक भावनाएँ भड़क सकती हैं या उन्हें ठेस लग सकती है ? मुकदमा करने से ऐसा भी प्रतीत होता है कि धामी जी के अफसरों ने खबर के शीर्षक में लिखी तीन बातों के बीच लगे अल्प विराम यानि कॉमा को मुकदमा करने की हड़बड़ी में अनदेखा कर दिया !


 पत्रकारों को धमकाने की जल्दबाजी में धामी जी के अफसर, अखबार के पत्रकार पर मुकदमा करने का कायदा भी भूल गए  ! 


भाजपा की सरकार और उसकी संस्थाएं निरंतर उत्तराखंड में पत्रकारों को निशाना बना रही हैं. अभी कुछ दिन पहले ही केदारनाथ में कथित तौर पर सोने के पीतल हो जाने के मामले में स्वतंत्र पत्रकार गजेंद्र रावत के विरुद्ध भी मुकदमा दर्ज किया गया. जबकि उक्त प्रकरण को उठाने वाले गजेंद्र रावत कोई पहले व्यक्ति नहीं थे. सबसे पहले यह आरोप तो केदारनाथ के तीर्थ पुरोहितों ने ही लगाया था.  लेकिन लिखने- बोलने वालों को धमकाने के लिए ही उन पर मुकदमा दर्ज किया गया. 


हम यह मांग करते हैं कि भाजपा सरकार और उसके अफसर इस तरह पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बंद करें. पत्रकार मनमीत और  साथ ही स्वतंत्र पत्रकार गजेंद्र रावत के विरुद्ध दर्ज मुकदमें वापस  लिए जाएं.


- इन्द्रेश मैखुरी

राज्य सचिव, भाकपा (माले) 

उत्तराखंड

 

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