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पुलिस के तरकश में "ज़ीरो मिटाओ" तीर, रख देगा अपराधियों का सीना चीर !!!

 


  करीब दस दिन पहले 12 अक्टूबर को उधमसिंह नगर जिले के दिनेशपुर के पास जाफ़रपुर में दो पक्षों में ताबड़तोड़ फायरिंग हुई, नौ लोग घायल हुए. जिस दिन फायरिंग हुई, उस दिन दिनेशपुर के एसओ मुस्तैदी से बाइकों का चालान कर रहे थे, दुर्गा पूजा में जा रहे लोगों पर अपने बल का प्रदर्शन और मुख्यमंत्री से करीबी की धौंस जमा रहे थे. 


घटना को दस दिन हो गए, फायरिंग के 21 में 4 ही आरोपी पकड़े जा सके, एस ओ साहेब तो मुख्यमंत्री के आदमी बताए जा रहे हैं, उनका बाला बांका किया नहीं जा सकता तो किया क्या जाये ? तेजतर्रार बताए जा रहे कप्तान साहेब ने सोचा कि कुछ तो तेजी दिखानी होगी ! और कहीं तेजी ना दिखा सकें तो इनाम की रकम पर ही कुछ ज़ोर आजमाइश की जाये ! 




इनाम पर ज़ोर आजमाइश का जो काल्पनिक दृश्य दिमाग में उभरता है वो कुछ यूं है :


उधमसिंह नगर की पुलिस के सदर मुकाम में गहन मंथन चल रहा है. इतने दिन हो गए 17 आरोपी अभी भी पकड़ से बाहर हैं, क्या किया जाये ? सिर से सिर जोड़े पुलिस के क्रीम दिमागों में आइडियाओं की दही मथी जाने लगी ! एक घुटे हुए अफसर ने पुलिस का आजमाया हुआ फॉर्मूला सुझाया- हुजूर इनाम घोषित कर देते हैं बदमाशों पर. इनाम की राशि बताई तो साहेब के चेहरे पर नागवारी के भाव आए, उन्होंने इनाम की घोषित की जाने वाली रकम में से ज़ीरो कम करने को कहा ! एक ज़ीरो मिटाया गया पर साहेब का चेहरा तना ही रहा. इस तरह कुछ और ज़ीरो मिटाए गए पर साहेब की त्यौरियां चढ़ी ही रही ! जब आखिरी ज़ीरो भी मिटा दिया गया, तब साहेब के चेहरे पर संतुष्टि का भाव उभरा ! 


इनाम की राशि में सारे ज़ीरो मिटाने का जोरदार करनामा अंजाम दे कर साहेब अपने पूरे लाव-लश्कर के साथ मीटिंग हाल से बाहर निकले. इंतजार कर रहे खबरनवीसों को साहेब ने बताया- हमने अपराधियों को पकड़ने के लिए भारी मशक्कत की है. पर हम मशक्कत करने से कहाँ घबराते हैं ! इतनी मशक्कत की हमने कि हमारे हाथ घिस गए. हमारे हाथ भले ही घिस गए पर अपराधियों के इनाम के भी सारे ज़ीरो हमने घिस दिये ! घिस ज़ीरो देख कर अपराधी सिर पकड़ लेंगे, उनका ब्लड प्रेशर रसातल को चला जाएगा, वो अवसाद में आ जाएँगे ! घिसे ज़ीरो देख कर वो खुद ही हमारे चरणों में आ कर लोटने लगेंगे कि कहीं हमने बचा हुआ अंक भी मिटा दिया तो उनका क्या होगा ! 


“ज़ीरो मिटाओ” मेहनत पर खबरनवीस फिदा हो गए, उन्होंने ज़ीरो मिटाने के आइडिया वाले दिमाग की जयजयकार की और पुष्पवर्षा में छह-आठ कॉलम की खबर तान दी ! 


ज़ीरो मिटाने के किस्से से वो बंदर की उछल कूद वाला किस्सा याद आया. बंदर जंगल का राजा बना. जानवर अपनी समस्याओं को लेकर राजा बने बंदर के पास गए. बंदर ने पेड़ की एक टहनी से दूसरी टहनी, दूसरी टहनी से तीसरी टहनी पर छलांग लगानी शुरू की. घंटे भर उछल-कूद के बाद बंदर हांफता हुआ बैठ गया. जानवरों ने कहा- हुजूर हमारी समस्याएँ तो हल हुई ही नहीं ! बंदर बोला- समस्या हल हुई या नहीं, वो कोई बात नहीं पर मेरी मेहनत में कोई कमी हो तो बताओ ! 


आरोपी पकड़े गए कि नहीं, ये महत्वपूर्ण नहीं है, ज़ीरो सारे कम हो गए, पुलिस के तरकश में ये नया तीर तो आ ही गया !


 -इन्द्रेश मैखुरी

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