प्रति,
श्रीमान पुलिस महानिदेशक महोदय,
उत्तराखंड पुलिस, देहरादून.
विषय: होली त्यौहार और क़ानून व्यवस्था
महोदय,
बीते कुछ दिनों में उत्तराखंड पुलिस, खास तौर पर देहरादून की पुलिस की ओर से आये बयानों से लगता है कि राज्य में कानून व्यवस्था को कायम रखने के बजाय पुलिस नागरिकों की सुरक्षा को ले कर हाथ खड़ा कर रही है। यह गंभीर चिंता का विषय है. आपके संज्ञान में यह तथ्य लाना है कि अख़बार में प्राप्त हुई खबरों के अनुसार देहरादून पुलिस ने बयान दिया है कि होली के दिन "जिसको रंगों से परहेज़ है, वह घर पर ही नमाज़ पढ़े" (_हिंदुस्तान_, 11.03.2025)।
महोदय, होली के दिन किसी पर भी उनकी अनुमति के बिना रंग लगाना वैसे ही छेड़खानी है और इससे सबसे ज्यादा प्रभावित महिलाएं होती है। इसके अतिरिक्त पुलिस की और से एक पूरा समुदाय को कहा जा रहा है कि उनको उस दिन अपने घरों के अंदर कैद रहना पड़ेगा और अपना धार्मिक कामों के लिए वह इकट्ठे नहीं हो सकते हैं। ऐसे बयान दिया जा रहा है जब अखबारों में प्राप्त हुई खबरों के अनुसार हरिद्वार में छात्रों के इफ्तार पार्टी पर चंद संगठनों के गुंडों ने हमला किया। क्या ऐसे बयान दे कर उत्तराखंड पुलिस जनता को ऐसे सन्देश देना चाह रही है कि वे कानून का राज को कायम रखने में असमर्थ हैं? ऐसे सन्देश शांति, सामाजिक सौहार्द एवं हमारे राज्य की भविष्य के लिए खतरनाक हो सकते हैं.
अतः आपसे निवेदन है कि ऐसे बयानों को वापस ले कर उत्तराखंड पुलिस स्पष्ट करे कि होली के दिन और साल भर में किसी भी प्रकार का उत्पीड़न, छेड़खानी या अन्य आपराधिक कृत्यों को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा और ज़िम्मेदार व्यक्तियों पर क़ानूनी कार्यवाही की जाएगी, चाहे उनका धर्म, जात, या राजनैतिक संबंध कुछ भी हो।
सहयोगाकांक्षी
इन्द्रेश मैखुरी,
राज्य सचिव, भाकपा (माले)
उत्तराखंड
(यह पत्र ई मेल से भेज दिया गया है)
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