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उत्तराखंड की बेहतरी चाहने वालो, नफरत के वाहक - प्रसारक मत बनो

 कल से एक वीडियो सोशल मीडिया में प्रसारित किया जा रहा है. यह नफरत फैलाने के लिए कुख्यात और सुप्रीम कोर्ट में उल्टी सीधी याचिकाएं लगा कर अदालत की डाँट खाने वाले अश्विनी उपाध्याय का है. नफरती चिंटुओं के एक हिस्से के पोस्टर बॉय हैं - अश्विनी उपाध्याय ! 






उक्त वीडियो में अश्विनी उपाध्याय उत्तराखंड के रामनगर में रहमतनगर बसने की एक ऐसी कथा सुना रहे हैं, जो फर्जी है. 


जब मैंने यह वीडियो देखा तो मुझे याद आया कि हाल में संपन्न नगर निकायों के चुनावों में रामनगर के भाजपा प्रत्याशी का भी मुख्य नारा ही यही था कि रामनगर को रहमत नगर नहीं बनने देंगे ! रामनगर की नगरपालिका का विस्तार इस तरह किया गया कि बहुसंख्यक वोटर हिंदू हों. वहां के लोगों ने इस रामनगर के रहमतनगर बनने के नकली भाजपाई हव्वे को सिरे से खारिज कर दिया. हाज़ी मुहम्मद अकरम को सोलह हजार से अधिक वोटों से अध्यक्ष चुन लिया. सनद रहे वे इससे पहले भी चार बार अध्यक्ष रहे हैं.


हाज़ी अकरम की भी सोशल मीडिया में काफी वायरल व्यक्ति हैं. वे नगरपालिका अध्यक्ष होने की वजह से वायरल नहीं हैं बल्कि प्रख्यात कुमाउंनी गायक दिवंगत गोपाल बाबू गोस्वामी का गीत "घुघुती न बासा" को बेहद मिठास भरे स्वर में गाने का उनका वीडियो समय समय पर वायरल होता रहता है.


बहरहाल अश्विनी उपाध्याय के रामनगर के बारे में नफरत भरे वीडियो पर लौटते हैं. मैंने रामनगर के मित्रों से इस वीडियो के बारे में दरियाफ्त किया. उन्होंने बताया कि यह नफरती अभियान तो दो ढाई साल पहले जागरण ने और फिर पांचजन्य ने चलाया था, जो कब का धराशाई हो चुका है, यह वीडियो भी संभवतः तभी का है. एक बेहद मार्के की बात यह भी सामने आयी कि ऐसी कोई अवैध अल्पसंख्यक बस्ती होती तो भाजपाई राज में तो अब तक उस पर बुलडोजर चल चुका होता ! 


सवाल यह है कि प्रदेश में विकल्प की राजनीति के झंडाबरदार से लेकर खुद की एकमात्र पहचान- राज्य आंदोलनकारी- के रूप में कराने वाले लोग, तक इस वीडियो को क्यों शेयर कर रहे हैं ? क्या यह समझा जाए कि जहां सांप्रदायिक नफरत की बात होगी तो ऐसे लोग भी भाजपा की ही पांत में खड़े मिलेंगे या भाजपा को भी पीछे छोड़ने को तत्पर मिलेंगे ? 


उत्तराखंड की बेहतरी के लिए सोचने वाले हर व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि साम्प्रदायिक विभाजन और नफरत की राजनीति से प्रदेश का भला कतई नहीं हो सकता है. और नफरत भरे झूठे वीडियोज का वाहक और प्रसारक तो कतई नहीं बनना चाहिए.



(वीडियो का स्क्रीनशॉट लगाया, वीडियो इसलिए नहीं क्योंकि किसी भी हाल में नफरत का वाहक- प्रसारक नहीं बनना है)


-इन्द्रेश मैखुरी

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