( प्रेस को जारी बयान )
फोटो : रजनीकांत सेमवाल
# जब ग्रीष्मकाल दस्तक दे रहा है, ऐसे वक्त में शीतकालीन यात्रा को प्रमोट करने आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगभग उन्हीं बातों का दोहराव किया जो बीते एक दशक से चुनावी रैलियों में वो कहते रहते हैं.
# प्रधानमंत्री ने अपनी चुनावी रणनीति को जारी रखते हुए, गढ़वाली के चंद शब्द बोल कर यहां के लोगों को रिझाने की कोशिश की. लेकिन इस पर्वतीय अंचल के लोगों के बारे में अपशब्द बोलने वाले मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल पर कोई कार्रवाही न करके और इस मामले में खामोशी बरत कर, उन्होंने यह दर्शा दिया कि वे यहां की आम जनता से ज्यादा इस जनता को अपशब्द कहने वाले अपने मंत्री के साथ हैं.
# केदारनाथ और हेमकुंड के लिए जिन रोपवे की घोषणा केंद्र द्वारा कल की गयी और प्रधानमंत्री ने आज दोहराया, वो घोषणा 2022 से बार-बार की जाती रही है. इसलिए यह पुरानी घोषणा से जनता को भरमाने की कोशिश है.
# प्रधानमंत्री ने हाल में माणा में ऐवलांच का शिकार बने मजदूरों को श्रद्धांजलि देते हुए की. लेकिन ऐसे विपरीत मौसम में जब वहां कोई नहीं रहता, ऐसी विपरीत स्थितियों में मजदूरों की जान जोखिम में डाल कर क्यों रखा गया ? इस घटना के जिम्मेदारों पर कार्रवाही के मामले में प्रधानमंत्री ने भी चुप्पी ही बरती. मृतकों के परिजनों और घायलों को मुआवजे के मामले में भी चुप्पी ही रखी गयी.
# अपने भाषण में प्रधानमंत्री में उस सड़क परियोजना को चार धाम के साथ ऑल वेदर रोड के नाम से भी संबोधित किया, जिसे उनकी ही सरकार अब केवल चार धाम परियोजना ही कहती है. इस सड़क पर जबसे इस परियोजना का काम शुरू हुआ है, तबसे यह ऑल वेदर यानि बारामासी केवल भू स्खलन के मामले में है. उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित कमेटी ने तो इस परियोजना के काम को अनियोजित और अवैज्ञानिक करार दिया था. सिलक्यारा जैसी दुर्घटना इसी परियोजना में हुई, जिसके लिए दोषी कंपनी- नवयुग इंजीनियरिंग लिमिटेड के खिलाफ कोई कार्रवाही नहीं की गयी.
# प्रधानमंत्री पहाड़ के प्राकृतिक सौंदर्य को देखने को लिए पूरे देश के लोगों का आह्वान कर रहे हैं. लेकिन विकास के नाम पर उनकी सरकार द्वारा संचालित तमाम परियोजनाएं यहां के प्रकृति, पर्यावरण और पारिस्थितिकी को तहस-नहस कर रही हैं.
-इन्द्रेश मैखुरी
राज्य सचिव, भाकपा (माले)
उत्तराखंड
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पर्यटन के नाम पर संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र का विनाश हैं मोदी की नीतियां
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