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उफ्फ यह वहशियाना कृत्य

 

 देहरादून जिले के चकराता क्षेत्र के एक गांव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक द्वारा गांव की युवती के साथ दुराचार करने के आरोप सामने आये हैं. घटना 9 अप्रैल 2025 की बताई जा रही है, जिसकी एफआईआर 13 अप्रैल 2025 को दर्ज हुई.





परिजनों द्वारा थानाध्यक्ष चकराता को दी गयी शिकायत के अनुसार युवती उक्त आरोपी शिक्षक के सेब के बगीचे में काम करने गयी थी और आरोप है कि इसी दौरान आरोपी शिक्षक द्वारा युवती के साथ दुष्कर्म किया गया. 


घटना से आहत, असहाय महसूस कर रही पीड़ित युवती ने कीटनाशक खा कर आत्महत्या करने की कोशिश की. देहरादून में दून अस्पताल में उसका उपचार हुआ. थाने में दी गयी तहरीर में लिखा है कि देहरादून में इलाज कर रहे डॉक्टरों को दुष्कर्म की बात बताई गयी, परंतु उन्होंने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया ! 


तहरीर में लिखी बातें तो कई गंभीर सवाल खड़े करती हैं. आरोपी शिक्षक सवर्ण है और लड़की दलित परिवार से है.


तहरीर में लिखा है कि लड़की का परिवार आरोपी शिक्षक के यहां बंधुवा मजदूरी करता था. इससे यह सवाल उठता है कि इस क्षेत्र में क्या अभी भी बंधुवा मजदूरी की प्रथा जिंदा है, जबकि यह तो बंधुवा मजदूरी (उन्मूलन) अधिनियम, 1976 के तहत अपराध है और बंधुवा मजदूरी करवाने के लिए तीन साल तक के कारावास व जुर्माने का प्रावधान है. जिलाधिकारियों का दायित्व है कि इस कानून के प्रावधानों को लागू करवाएं. तब इस क्षेत्र में दलित परिवार से बंधुवा मजदूरी कैसे करवाई जा रही थी ? और कितने परिवार हैं जो बंधुवा मजदूरी के चंगुल में अभी भी हैं ? एक सरकारी शिक्षक और उसका परिवार बंधुवा मजदूरी जैसा गैर कानूनी कृत्य कैसे करवा रहा था ? क्या तहरीर के आधार पर जो एफआईआर दर्ज हुई है, उसमें गैर कानूनी तरीके से बंधुवा मजदूरी करवाने का अपराध भी दर्ज है ? 13 अप्रैल 2025 को इस घटना की एफआईआर दर्ज करने के बाद जो प्रेस विज्ञप्ति चकराता पुलिस द्वारा जारी की गयी है, उसमें मुकदमा अपराध संख्या 03/2025 को धारा-64/352/351(2)(3) भारतीय न्याय संहिता में दर्ज करने की बात कही गयी है. ये धाराएं बलात्कार, डराने-धमकाने और अपमानजनक व्यवहार से संबंधित हैं. तहरीर में जिक्र होने के बाद भी बंधुवा मजदूरी का उल्लेख पुलिस द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में तो नहीं है ! क्या चकराता पुलिस बंधुवा मजदूरी को अपराध करार देने वाले कानून को नहीं मानती है ? 


तहरीर में पीड़िता के परिजनों ने लिखा है कि आरोपी शिक्षक पूर्व में भी यौन अपराध में संलिप्त रहा है और पैसा दे कर मामले को रफा-दफा करवाता रहा है. अगर यह सही है तो आरोपी तो आदतन अपराधी है. उसके खिलाफ तो ना केवल पुलिस कार्रवाही होनी चाहिए बल्कि शिक्षा विभाग को भी जांच करके कार्रवाही करनी चाहिए. 


यह भी सोचनीय है कि ये कैसी पंचायतें जो बलात्कार जैसे जघन्य अपराध का निपटारा चंद रुपयों में करवा देती हैं.


यह भी ज्ञात हुआ है कि इस परिवार को दबाव में लेने की कोशिश की जा रही है.


 लड़कियों- महिलाओं की सुरक्षा का सवाल रह- रह कर उठता है, अगर लड़कियां- महिलाएं अपने गांव में, अध्यापन जैसे पेशे वाले लोगों के सामने भी सुरक्षित नहीं हैं तो वे कहां सुरक्षित होंगी ? कब तक लड़कियों- महिलाओं को यौन कुंठित समाज के हाथों उत्पीड़ित होना पड़ेगा ? 


-इन्द्रेश मैखुरी


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